ऐसिड अटैक
अब फेंक दिया सो फेंक दिया
अब इसमें दोष क्या मेरा था
पर इतना तो बतला दो मुझको
मेरे चेहरे, मेरे जीवन पर
सच में हक कितना तेरा था
इंकार किया था मैंने पर
शायद तुमको ना समझ सकी
देख न पाई प्यार को तेरे
हद तेरी ना समझ सकी
चल मान लिया तू आया था
इक प्यार का सौदा करने को
ख्वाबों को अपने जीने को
मेरे साथ साथ में चलने को
पर कैसा प्यार था तेरा वो
चेहरे पे फफोले डाल गया
आंखें अंदर को खिसक गई
गालों को मेरे उबाल गया
क्या सहलाओगे इस चेहरे को
गर गलती अपनी मान भी लूं
या देखोगे इन आंखों में
जो खौफ में आके विदक गई
क्या छू पाओगे इन गालों को
जिनमें से पानी रिसता है
या देखोगे उन पलकों को
जो राख में अब हैं बदल गई
हां तुम कर लोगे शायद
तुम तो मोहब्बत करते थे
तुम ही तो अक्सर कहते थे
तुम इश्क़ तो सच्चा करते थे
पर एक बात बतला दो मुझको
ख़्याल तेजाब का क्यों आया
क्या तुमको किसी ने बतलाया
या तेरे जेहन में खुद आया
कैसा अनुभव करते हो अब ?
मुझे जलाकर क्या पाया?
शान बढ़ गई? गौरव आया?
तो बोलो फिर क्या पाया?
चेहरा मेरा जलाया है
पर जिस्म अभी भी पूरा है
नहला दो मुझको पूरा
गर बदला अभी अधूरा है
या धक्का देकर मुझे गिरा दो
अम्ल भरे तालाब में
शेष मेरा यह बदन जला दो
अहंकार की आग में
बस एक दुआ है रब से अब
मुझे तेरी बेटी बना दे वो
आशिक मिले मुझे तुम जैसा
फिर ऐसी ही दशा दे वो
वही दर्द बेटी का जब तुम
देखोगे तो समझोगे
क्या बीती है घर में मेरे
भुगतोगे तो समझोगे
कितना दर्द दिया है तुमने
घर कितने बर्बाद किए
बस एक जिस्म के लालच में
जीवन कितने बर्बाद किए।
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