आरजू़ -ए- दिल ने संभाला बहुत है
आरजू़ -ए- दिल ने संभाला बहुत है
तेरी यादों ने रुलाया बहुत है
अब तुम नज़रें मिलाती क्यूँ नहीं
इस कशमकश ने बेचैनी बढ़ाया बहुत है ॥
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आरजू़ -ए- दिल ने संभाला बहुत है
तेरी यादों ने रुलाया बहुत है
अब तुम नज़रें मिलाती क्यूँ नहीं
इस कशमकश ने बेचैनी बढ़ाया बहुत है ॥
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