बारिश - ZorbaBooks

बारिश

हाय उसका बिछड़ना और वो बारिश,

हाय हमारा तड़पना और ये बारिश।

अब जैसे दिलपर क़यामत आती है,

जैसे जैसे हमें याद आती है बारिश।

कैसे इन्तज़ार रहता था हमदोनों को,

कैसे हमारे काम आती थी बारिश।

जिस्म नही इश्क़ भी नहा उठता था,

शब ए वस्ल होती थी जब बारिश।

अब हमारी आँखों में आग लगा देती है,

पहले दिल में आँख लगाती थी बारिश।

आज़ाद उस दौर को भूले नही भूलता,

जब उसके आंसू छुपाती थी बारिश।


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AZAD MADRE