शिक्षक
आज मैं ख़ुद पर गुरुवांवनि ।
पूरे जीवन जिसे सीख रहे हैं ।।
आज वहीं पद बुला रही हैं ।
अपना फ़र्ज़ निभाने के लिए ।।
बहुत रंगों में एक हैं तो आज ।
मैं आडंबर में निकाल देती हूं ।।
आज मैं अनुभव कि दी सीख ।
याद कर चलती हूं हर छन…..।।
गुरुवाणी
मेरे गुरू जी के कि तुम जो भी देखी हो ।
जो बनना चाहती हूं उस लायक़ बनो और ,
कर कर्म कर अपना प्रथम समय कि सच्चाई जान समझ,
निभा जा शिक्षका पद कि गरिमा कि शिष्या…।।
कभी ना करना तुलना अपनी या कई को ख़ुद से
सभी खाश हैं वैसे ही तो भी
लगन कर मेरी प्यारी शिष्या …..।।
बबिता कुमारी
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