वो  लम्हे........ - ZorbaBooks

वो  लम्हे……..

वो  लम्हे……..
गुजरता हुआ लम्हा रुक सा गया 
वो यादों का मनजर  ठहर सा गया 
हर पल वक्त की चाहत होती थी जिन्ह्हे
आज वक्त है तो वो साथी कहाँ  चला गया 
हर पल ढूँढतीं है जिनको ये नजर 
वो तो बस सपनो का साथी बन गया 
नम आँखो से भी मुस्कुराती है ज़िन्दगी
क्योंकि उनका अंश जो मेरे साथ रह गया 
खोकर ही जाना है क़ीमत  एहसासो की 
जो बंद मुट्ठी से रेत सा फिसलता चला गया 
यादों में ताक़त होती है बहोत 
तभी वो कल को आज में ज़िंदा कर गया …..
                     

                    बबिता मिश्रा 
              विकासपूरी  न्यू दिल्ली-18


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Babita Mishra