हिफ़ाज़त

रात को करीब दस बजे मैं वेस्टसाईड से बहार निकल खड़ा सोच रहा था कि घर जाऊं या मार्केट जाऊं क्यूंकि मार्केट की कुछ दुकाने अभी खुली थीं। इतने में एक सुन्दर  खूबसूरत जवान लड़की ने हाथ आगे करते कहा  मिस्टर धमेजा मैं कोमल । मैं कंफ्यूज हो गया क्यूंकि मुझे औरोतों के साथ हाथ मिलाने में झिझक होती है फिर भी मैंने हाथ बढ़ाया  । मैंने कहा मैंने आपको पहचाना नहीं । वो बोली मैं कोमल मैंने आपको एक समारोह में देखा था जहां आपको आपकी कविताओं की किताब “मन के मोती” के लिए समानित किया गया था । वहां आपने अपनी पत्नी की याद में लिखी कविता सुनाई थी “देख कर तस्वीर तेरी तुझसे बातें करता हूँ”। मैं आपकी दिल से लिखी कविता सुन कर आपकी  फैन हो गई हूँ। मैंने आपकी किताब ऐमेज़ोन से मंगवा कर पूरी पढ़ी है

मैंने कहा  आपके विचार सुन कर अच्छा लगा । आपने अगर पूरी किताब पढ़ी है तो आपने मेरी वो कविता भी पढ़ी होगी जिस में मैंने बहनों और लड़कियों को अर्ज़ किया है कि वो अपनी हिफ़ाज़त खुद करें क्यूंकि कानूनु हिफ़ाज़त नहीं कर सकता और समाज में औरोतों के साथ बेहूदा व्यवहार और रेप के केसेज़ बते जा रहे हैं । कुछ मर्द तो ऐसा नीच काम कर रहे हैं जो एक गली का कुता भी नहीं करता

कोमल ने एकदम जेब में से एक छुरा निकला। मुझे तो डरा ही दिया। मैंने कहा इतना बड़ा छुरा क्यूं उठा कर घूमती हो । कोमल ने कहा मैं विनोद माथुर से प्यार करती थी और उससे शादी करना चाहती थी पर एक दिन शाम को वो मुझे कार में घुमाने ले गया । रास्ते में उसने दो लड़कों को कार में बिठा लिया और कहा कि वो उसके दोस्त हैं । थोड़ा आगे जा कर हम सबने कोल्ड डरिंक पी । कोल्ड डरिंक पीते ही मुझे कुछ अजीब सा लगने लगा मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं । उनहोंने मेरे साथ वो सब किया जो नहीं होना चाहीया था । कोल्ड डरिंक के असर की वजह से मैं कुछ न कर सकी। वो मुझ्रे वापस अपने घर के पास कार से उतार कर छोड़ कर चले गए । मुझ में इन्तिकाम की आग जलने लगी । मैं सीधा पुलीस स्टेशन गयी और पुलीस अफसर को सारी बात बताई । पुलीस अफसर बड़ी उम्र का था उसने कहा “बेटे जिन माथुर की तुम बात कर रही हो वो बहत बड़े अमीर और रसूकदार लोग हैं और अगर उन पर केस करेगी तो वो तुम्हारे पर ऐसे ऐसे इलज़ाम लगा देंगे और विटनेस भी खड़े कर देंगे कि तुझे अपनी इज्ज़त बचानी भी मुश्किल हो जायेगी। तू सोच कर मुझे बताना जैसे तू कहेगी वैसा मैं करूंगा अब तू जा”। मैं वापस पुलिस के पास नहीं गयी । रोज़ शाम को उसको ढूढने निकलती हूँ मिल जाये तो मैं इंतकाम लूं ।

मैं अपने विचारों में खो गया । कोमल ने मेरा हाथ खैंच कर कहा “छोड़ो न इस बात को चलो ना थ्रीसीज़ में पिक्चर देखते हैं और उसके बाद चाईंनींज़ खाइंगे”।

मुझे याद आया मैंने अखबार में पड़ा था कि एक जवान लड़की मर्दों के बारे में बहुत कुछ पता करके उनको फसा कर उनको लूटती है और ब्लैकमेल करती है। मुझे कोमल बिलकुल वैसी लगी। यह सोचते ही मुझे पसीना आ गया और मैं हाथ छुड़ा कर भागा। भागते ही मेरा पैर अटका और ठोकर खा कर मैं गिर पड़ा गिरते ही मैं चौंक कर जागा। उठ कर देखा तो रात के तीन बजे थे।

 

 

 

 


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Bansi Dhameja