एक हसीं खता - ZorbaBooks

एक हसीं खता

एक हसीं खता

बेवजह और बेपनाह करना चाहता हूँ

तुझे पाने की सजा

हर दफा, हर लम्हा पाना चाहता हूँ

जो बात लफ़्ज़ों पर आकर रुक गयी

उन लफ़्ज़ों को जीना चाहता हूँ

एक हसीं खता

बेवजह और बेपनाह करना चाहता हूँ

साथ चले उन क़दमों की आहट को

अपने सपनों में कैद करना चाहता हूँ

तुझसे जुदा होने का डर

अपने दिल से मिटा देना चाहता हूँ

एक हसीं खता

बेवजह, बेपनाह करना चाहता हूँ


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Dinesh Rautela