पहली दफा

वो पल भी कितना हसीन था,
जब देखा था उसे पहली दफा।
वो थी लाल साड़ी में,
और उसे देख मैं अपनी नज़रे न हटा पाता।
वो आती जैसे जैसे करीब मेरे,
वैसे ही जोर जोर से धड़कता यह बिचारा दिल मेरा।
आ खड़ी हुई करीब जैसे,
मैं शरम से हो गया लाल ।
अब तो आ गया था पल वो,
जब मेरे दोस्तों को तक पता चल गया।
वो दूर से मुझे चिढाते,
और  कहते, करने को बात उससे।
पर हुआ कुछ ऐसा जो सोचा न था कभी मैंने।
हाँ।
मुड़ी वो मेरी तरफ करने को बात मुझसे।
पर याद नहीं कुछ क्या बोली वो,
क्योकिं सुनने से ज्यादा मैं उसे देखता रहा।
फिर नाचे भी हम साथ,
जो ले आया करीब और हमें।
यहा खत्म नहीं हुई कहानी हमारी,
बल्कि हुई शुरू।
वो दिन कोई और नहीं,
था हमारे freshers का।


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Divya Upadhyay