मेरी बहना लाखों में एक अनमोल रतन हैं।
स्त्री मेरी शान, बहन मेरी जान हैं
नारी जब सजती, लगती वो भगवान है
कहने को प्यार सब करते हैं
मगर मेरी बहना दिल की धड़कन है
मेरी चाहत, मेरी रुसवाई, मेरी दोस्त,
मेरी शीतल मेरी सबसे अच्छी बहन हैं
उसका सजना, उसका गहना, उसका कहना
सब उसकी मीठी जुबान है
वह लम्हे जो मिरे है सब साथ तेरे हैं
हम सब एक नभ गगन हैं
पिता शंकर तो मां पार्वती है
बहना से जुड़ा हर रिश्ता दिल का बंधन हैं
लिखे जो किताब उसके नाम,
मेरी बहना लाखों में एक अनमोल रतन हैं।
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