पापा क्या करते हैं?

कहानी का शीर्षक: “पापा क्या करते हैं?”

शहर के सबसे सुंदर इलाकों में एक आलीशान घर था, जहाँ एक छोटा-सा परिवार रहता था — रंधीर, उनकी पत्नी सुशीला, और उनका बेटा अमन।

सुशीला एक सशक्त महिला थीं। वह एक सरकारी अधिकारी थीं और हर सुबह अपनी यूनिफॉर्म में निकलती थीं। पूरे मोहल्ले में लोग उनकी तारीफ करते नहीं थकते थे। “देखो, कितनी मेहनती औरत है!” सब कहते।

रंधीर… वह घर पर ही रहते थे। न कहीं आना, न कहीं जाना। मोहल्ले के कुछ लोग उन्हें ताने भी मारते, “ये आदमी कुछ करता क्यों नहीं?”

लेकिन अमन कभी ये सब महसूस नहीं करता था। उसके लिए उसके पापा सबसे अच्छे थे। वे दिनभर घर में होते, उसे स्कूल छोड़ते, लंच तैयार करते, और जब वह थककर आता तो उसके साथ बैठकर कहानियाँ सुनाते।

एक दिन, अमन अपने दोस्तों के साथ स्कूल के बाद पार्क में खेल रहा था। तभी किसी दोस्त ने पूछ लिया:

“अरे अमन, तुम्हारी मम्मी तो सरकारी ऑफिस में काम करती हैं, पर तुम्हारे पापा क्या करते हैं?”

अमन कुछ पल के लिए चुप रहा। फिर बोला, “वो घर से काम करते हैं।”

“मतलब कुछ करते ही नहीं क्या?” किसी ने हँसते हुए कहा।

अमन कुछ सोचता रहा, थोड़ा चुप रहा, फिर शाम को घर आकर पापा से पूछा:

“पापा… आप क्या करते हो?”

रंधीर मुस्कराए। उन्होंने लैपटॉप खोला, उसे स्क्रीन दिखाई। “बेटा, मैं डिजिटल मार्केटिंग करता हूँ, स्टॉक्स में निवेश करता हूँ, और कुछ ऑनलाइन बिज़नेस भी हैं मेरे। मैं ऐसा काम करता हूँ जिससे पैसे दिन-रात आते हैं — जब मैं सो रहा होता हूँ तब भी।”

अमन ने हैरानी से पूछा, “ये कौन सा काम है पापा?”

रंधीर बोले, “इसे कहते हैं Passive Income — यानि ऐसा सिस्टम बनाना, जो अपने आप चले। मैं काम तो करता हूँ, पर मेरे काम का तरीका अलग है। मैं वक़्त खरीदता हूँ — ताकि मैं तुम्हारे साथ ज्यादा रह सकूँ।”

अगले दिन, अमन जब दोस्तों से मिला तो फिर वही सवाल हुआ। लेकिन इस बार वह मुस्कराया और बोला:

“मेरे पापा वो काम करते हैं जो लोग अभी समझते नहीं — वो आज में नहीं, भविष्य में जीते हैं।”

और उस दिन से अमन को कभी शर्म महसूस नहीं हुई, बल्कि गर्व होने लगा अपने पापा पर।

समाप्त।


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Er. Vishal Maurya
Uttar Pradesh