जुदाई

वक़्त इतना बेदर्द

नही हो सकता

की वो हमें

जुदा होते हुए हमे देख सके। 

 

ये आसमां

हमारी मोहब्बत का गवाह है

क्या ये इतना पत्थर दिल है की

जुदाई के लम्हें मे भी, अश्क बहाये नही। 

 

ये दरख्त, ये परिंदे

क्यों उदास हैं

क्या सुन लिया है, इन्होंने

हमारे प्यार की अधूरी दास्तां। 

 

ये हवा आज

 बहक रही क्यो नही

शायद हमारे टूटे दिल के

दर्द से सहम गई है हवा। 


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Guru saran srivastava