तन्हा सफर
मै अकेले चल रहा था
जिंदगी के सफर मे
ठोकरे खाई गिरा
उठा फिर चल दिया ।
चलते 2 राह मे कोई मिला
कट गया संग उसके मेरा कुछ सफर
करवट लिया फिर मेरे नसीब ने
हम बिछड़ गए आकर एक मोड पर ।
प्यार के बाबत मै पढ़ता ही रहा
प्यार की बरसात कर रहा आसमां
पर मै तरसा एक बूंद के लिए
यू तो जिन्दा हू पर हर लम्हा मरता ही रहा ।
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