House wife

ओ नेगेटिव 

     "आज भी भाभी के ब्लड का मैच नहीं मिला मम्मी |सारे ग्रुप में मैसेज कर दिया, फेसबुक, ट्विटर, वाट्सअप पर भी सूचना डाल दी है, और तो और रेडियो पर भी दिनभर से घोषणा हो रही है लेकिन भाभी के ब्लड ग्रुप से मैच खाता हुआ ब्लड मिल ही नहीं रहा है |"
     
    यह सुन मालती का दिल ही बैठ गया, अभी एक साल पहले ही बड़े अरमानों से अपने बड़े बेटे का विवाह जज साहब की प्रोफेसर बेटी अनुभा से किया था, अपनी बेटी से भी ज्यादा लाड़ से अपनी बहू को रखती थी, घर में नौकर -चाकर किसी चीज की कोई कमी नहीं, लेकिन तीन दिन पहले अनुभा को अचानक तेज बुखार था तो डॉक्टर के यहाँ चेकअप करवाने गए, तब पता चला कि अनुभा को डेंगू हो गया है, और प्लेटलेट्स तेजी से कम हो रहे है, तुंरत उसे अस्पताल में भर्ती करवाना होगा, तभी स्थिति सामान्य हो सकेगी |
      मालती ने तुरंत बहू को भर्ती करवाया और फोन पर सभी को सुचना दे दी, लेकिन असली परीक्षा की घड़ी तो अब थी जब अनुभा को रक्त चढ़ाने की आवश्यकता हुई और उसका रक्त समूह'ओ नेगेटिव 'निकला |
      ताबड़तोड़ में ' ओ नेगेटिव 'रक्त समूह वाले रक्तदाता की खोज प्रारम्भ हुई, लेकिन इतना दुर्लभ रक्त समूह का रक्तदाता भी कहाँ आसानी से मिल सकता था, इधर अनुभा के मायके वाले भी अस्पताल पहुंच गए और सभी अपने अपने स्तर पर प्रयास करने लगे |
    इधर अनुभा के प्लेटलेट्स तेजी से कम हो रहे थे और उसकी हालत बिगड़ती ही जा रही थी और उधर कहीं ओ नेगेटिव वाले कोई व्यक्ति नहीं मिल रहे थे, प्रयास जारी थे, और रात को तीन बजे एक अत्यंत साधारण सा मैले कुचैले कपड़े पहने एक आदमी आता है और कहता है -"यहाँ किसी अनुभा जी को 'ओ नेगेटिव 'ब्लड की आवश्यकता है? "
     "ऐसा मैंने रेडियो पर सुना और सीधा इधर चला आया |"
     "अरे !हाँ बिलकुल आइये आपका ब्लड सैम्पल ले लेते है |"डॉक्टर साहब ने कहा 
   और सैम्पल मैच हो गया, और इसके साथ ही रक्त  चढ़ाने की प्रक्रिया प्रारम्भ हो गई, सुबह के पाँच बजते बजते अनुभा खतरे से बाहर थी |
     अब वह व्यक्ति सबकी अनुमति लेकर जाने लगा तो सबने उसे कुछ पैसे देने चाहे लेकिन उसने मना कर दिया और कहा कि' इंसानियत के नाते तो ये मेरा फ़र्ज था जिसे मैंने अदा किया |'
       "लेकिन बेटा आप तो हमारे लिए भगवान बनकर आये हो, और कुछ पैसे तो ले लो |"मालती ने कहा 
      " नहीं माताजी ये कह कर आप मुझे शर्मिंदा ना करें "
 "  मेरा नाम रघु है और मैं एक साधारण सा इंसान हूँ जो ईमानदारी का कमाकर अपना गुजर बसर करता हूँ, लेकिन आपको ये बता दूँ कि मैं अभी एक झूठे केस की पाँच साल की सज़ा काटकर आ रहा हूँ, और मुझे सबूतों के आभाव में सज़ा देने वाले जज साहब वो ही है, जिनकी बेटी को मैं अभी अभी ख़ून देकर आया हूँ |"
         "माताजी मेरा केवल ख़ून ही नेगेटिव है, मैं पॉजिटिव इंसान हूँ, चलता हूँ|"
          इतना कहकर वो निकल गया और सभी एकदूसरे का मुँह देखते रह गए |

                    स्वरचित व मौलिक 
             करुणा प्रजापति, इंदौर (म. प्र. )
         karunacollector@gmail.com


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