Panchayat
किसी की तकलीफ का तमाशा बनाना सबको आता है,
किसी की तकलीफ का अंदाजा लगाना नही आता,
कौन जी रहा किस मुसीबत में,
ये समझना भी नही आता,
मजाक बना रखा है जिंदगी को,।
जीने का सलीका नही आता,
अपनी तकलीफ अपनी परेशानी है,
औरो की तो मजे लेने की कहानी हैं,
हर गली नुक्कड़ में मिल ही जाते है ,
पंचायती लोग,
इसकी लड़की,उसका लड़का,
उसकी उम्र,उसका ऐसा-वैसा,
हर तरह की कानाफूसी,
ऐसे लोगो को भाती है,
जब आ जाये इन लोगो पर बात,
तो औरो पर ढोल दी जाती है,
कौन समझाए ऐसे को,
जैसे ये है उनका परिवार है,
वैसे किसी और का भी है,
जलन नफरत में दुसरो की जिंदगी का तमाशा बनाते रहते हैं,
है जानवर से भी बद्दतर ऐसे लोगों की सोच,
कभी कभी ये सब देखकर यही लगता हैं,
भगवन तूने ये दुनिया बनाई क्यू।
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