कविता:- हमें अपना पहचान बनाना है
हमें न किसीसे डरना है
हमें न किसीको डराना है
मिली है ज़िन्द्दगी तो अपना
एक अलग पहचान बनाना है
अपना अलग पहचान बनाना है
हमें नहीं किसीसे रूठना है
नहीं रूठने वालोको मानाना है
चलना है हमें अपने ही अंदाज़मे
क्योंकी हमें अपना अलग
पहचान बनाना है
अपना अलग पहचान बनाना है
इतनी आशानि से
सफलता नहीं मिलती
सफलता के लिए हमें हर
चुनौती से लड़ना पडेगा
अपना अलग पहचान बनाना है तो
हमें इतना मेहन्नत तो करना पडेगा
इतना मेहन्नत तो करना पडेगा
लेखक
मंजीत छेत्री
तेज़पुर असम
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