गुफ्तगू

कब तक करेंगे परवाह कि

लोग क्या कहेंगे?

लोगों का तो काम ही है कहना

वो कहाँ चुप रहेगें।

ये गुफ्तगू तो यूहीं चलती रहेगी

ये हवा ना रूकी है ना रूकेगी

सुख-दुख का सैलाब है जिन्दगी

जो रुख मिले बहेगी

ये गुफ्तगू तो यूहीं चलती रहेगी।

कभी दिन निकलेगा 

कभी शाम ढलेगी

ये रोजमर्रा की जद्दोजहद 

यूंही चलती रहेगी।

ख़ुशी को संभालें

या गम को समेटे

इसी उहापोह में 

उम्र ढलती रहेगी।

ये गुफ्तगू तो यूहीं चलती रहेगी।

हर उम्र है एक तराजू 

सत्य पर असत्य का है जादू 

नजर का चश्मा जो दिखाए

वही तुम पर भी है लागू 

जिन्दगी कितनी है बेकाबू।

हर द्वार पर है राजनीति 

फन उठाए बैठी है चुनौती 

विद्रोह करें या

हथियार डाल दे

इसी उहापोह में 

उम्र ढलती रहेगी

ये गुफ्तगू तो यूहीं चलती रहेगी।

(मंजु)


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Manju Sharma