लम्हा
मेहनत आखिरी पल तक करें,
शायद उसी पल हमें जीत मिल जाए।
जीत और हार हमारी सोच पर निर्भर करती है ।
मन की जीत, जीत होती है,
मन की हार , हार ही होता है।
जिस प्रकार मैदान में हारा हुआ इंसान,
दोबारा कोशिश करे तो वो जीत सकता है,
लेकिन मन से हारा हुआ इंसान,
दोबारा नहीं जीत सकता ।
उम्मीद तो सबसे की जाती हैं,
लेकिन बहुत कम लोग ही,
उन उम्मीदों पर खरे उतरते हैं।
किसी दूसरे के लिए हम,
अपना चरित्र क्यों बदले,
वो गलत करेगा,
इसका ये मतलब नहीं कि हम गलत करें।
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