‘तुम और में'(छंद)
सोचते सोचते उम्र गुजर जायेगी
लेकिन ये तेरा ख्याल न जायेगा
बस जवाब ढूंढते रह जायेगी
पर ये तेरा सवाल न जायेगा
तुझे हर मंजिल मिल जायेगी
पर मेरा ये काल न जायेगा
तू हर वर्ष चहकती जायेगी
मुझसे यह साल न जायेगा
तू बदलते दौर में बदल जायेगी
पर मेरा पुराना हाल न जायेगा
तू दूर होकर शुभ’से जो चली जायेगी
जुदा होके मेरा महाकाल न जायेगा…✍🏻✍🏻
**निशान्त जैन”शुभ””