रूपा का बदला part 2nd
प्रिय को उस औरत पे शक होने लगा था और वो अपनी दीदी को अंदर जाने से मना कर रही थी लेकिन अंजलि ने उसे चुप करा कर वो अंदर चली गयी और दरवाज़ा अपने आप अचानक से बमद हो गया प्रिया दरवाज़े पास जा ही रही थी कि तब तक उस औरत ने उसका हाथ पकड़ लिया और बोला कि ये दरवाज़ा ऐसा ही है।उस औरत ने प्रिया का शक दूर करने के लिए वो उससे बात करने लगी कि मैं यहां अकेली रहती हूं मेरा कोई नही है बात करते करते समय कैसे बीत गया उन्हें पता नही चला तभी प्रिया ने एकदम से सोच की दीदी अभी तक आयी क्यों नही जब उसने उस औरत से पूछा कि दीदी कहाँ हे तब उसने कहा कि में नही जानती बीटा तुम खुद ही देख लो मैं अभी थोड़ी देर में आति हूँ।जब प्रिय ने थोड़ा सा दरवाजा खोला तो उसके पैरो के पास खून बह कर आता है वो दर जाती है और फिर वो पूरा दरवाज़ा खोलती है तो उसके शरीर पर उसकी दीदी की लाश गिरती है अभी उसकी दीदी साँस ले रही थी और प्रिया को बोल रही थी कि भाग भाग भा….इतना बोलते ही उसकी दीदी मार जाती है।प्रिया वहाँ से तेज़ी से भागी ओर भागते भागते एक गांव में जा पहुची उसी गांव में उसकी दोस्त संचिता छुपी हुई थी।जब प्रिया ने संचिता को देखा तो उसने उससे पूछा कि तुम यहाँ कैसे प्रिया के इतना बोलते ही संचिता ने बात पलट दी और उससे पूछने लगी कि तुम यहाँ कैसे प्रिया ने सारी बाते उससे बात दी तभी उन दोनों की नज़र एक औरत पर पड़ी जो चुपके चुपके उनकी बात सुन रही थी प्रिया और संचिता उसका पीछा करने लगे वो दौड़ते दौड़ते उस औरत के घर पहुच गए उन्होंने वह पर कुछ तंत्र विद्या का सामान देखा संचिता ये सब देख कर घबरा गई ।रात हो चुकी थी प्रिया जब उस औरत से पूछने गयी कि मेरे साथ ये सब क्या हो रहा है तबतक संचिता अपने कमरे से ज़ोर ज़ोर से चीलाने लगी कि उस खिड़की के पास कोई है लेकिन जब वो दोनों ने जाकर देखा तो वहां पर कोई नही था। प्रिया अपने कमरे में जाकर पीछे की सारी बाते सोचने लगी की ये सब क्यों हो रहा है तो उसको ये एहसास हुआ कि जब वो और उसकी दीदी उस गली से भाग रहे थे तो उन्हें उस घर के पीछे वाले दरवाज़े से कोई अंदर घुस था।। सुबह होते ही प्रिया ने संचिता को बाहर किसी काम से भेज दिया फिर उसने ये सारी बाते गुरुमाता को बताई जब प्रिया ने सब सच पूछा तो गुरुमाँ ने बताया कि —जो लड़की तुम्हारे साथ संचिता बन कर है वो संचिता नही रुपा है। जो काफी साल पहले मर गयी थी, और जो लड़के और वो ओरत तुम्हारे और तुम्हारी दीदी के पीछे आ रहे थे वो असल में रूपा के कातिल है उस औरत का एक ओर बीटा ह जो अभी तुमलोगो के स्कूल के पीछे लड़कियों का धंदा करता है।रूपा को मारने के लिए वो दोनों लड़के तू।हरे पीछे आये और जैसा उन्होंने सोचा था वैसा ही हुआ वो लोग तुम्हारी दीदी को मारना चाहते थे क्योंकि उसने उसके तीसरे बेटे को धंधा करते हुए देख लिया था।जब उन तीनो को पता चला कि रूपा की आत्मा तो उनकी आत्मा भी वापस आ गयी और अब वो रुपा यानी संचिता को मारना चाहते है।जिस घर में तुम ओर तुम्हारी दीदी छुपे थे उसी घर में वो तीनो धंधा करते थे और जब रूपा ने उन लोगो को मारा था तब बुद्ध पूर्णिमा था।
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