हर ज़र्रे को इत्तेलाह कर दी है - ZorbaBooks

हर ज़र्रे को इत्तेलाह कर दी है

हर ज़र्रे को इत्तेलाह कर दी है

कि अब दस्त-ए-शफक़त मंज़िल की होगी, 

बा दस्तूर मोहब्बत तो कर ली, 

अब हसरत-ए-तामीर भी चोट-ए-मुस्तक़बिल की होगी।।

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