Bachpan ka jamana
एक बचपन का जमाना था, जिस में खुशियों का खजाना था चाहत चाँद को पाने की थी,
पर दिल तितली का दिवाना था.. खबर ना थी कुछ सुबहा की,
ना शाम का ठिकाना था.. थक कर आना स्कूल से, पर खेलने भी जाना था… माँ की कहानी थी,
परीयों का फसाना था.. बारीश में कागज की नाव थी, हर मौसम सुहाना था..
रोने की वजह ना थी,
ना हँसने का बहाना था..
क्युँ हो गऐ हम इतने बड़े, इससे अच्छा तो वो बचपन का जमाना था..
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