इश्क़ हो तो छुपाना कैसा
जब इश्क हो ही गया है तो छुपाना कैसा
परिंदों को हवाओं से बचाना कैसा
कहते हैं ये ज़िंदगी है छोटी बहुत
फिर फ़िजूल बातों में वक्त गँवाना कैसा
आ जाया करो मिलने जब भी वक्त मिले
दिल के अरमानों को दिल में दबाना कैसा
क्या सही है क्या गलत ये तुम रहने दो
दिल की बातों में ये दिमाग लगाना कैसा
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