नशा
तेरे साथ गुज़रा वक्त, गुज़र क्यूं नहीं जाता
तू अगर मेरा है, तो ठहर क्यूं नहीं जाता
तू तो चला जाता है, पर ये बता मुझे
तेरा नशा मेरे दिल से, उतर क्यूं नहीं जाता
तूने बिगाड़ा था, मेरे मासूम से दिल को
पर तेरे जाने के बाद, ये सुधर क्यूं नहीं जाता
न जाने किस आस में, बैठा रहता है मन मेरा
तेरे जाने पे ये टूट के बिख़र क्यूं नहीं जाति
-प्रेरणा पुजारी
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