Train journey

ट्रेन का सफर-1(भाग)

              आज छुट्टियाँ खत्म हो रही थी इसलिए मुझे कॉलेज लौटना था जरूरत का सारा सामान अपने बैग में रख लिया था।

घर से लौटते समय मैं बहुत मायूश था आँखों में आँसू थे और सभी से मिलने में मुझे देर भी हो गयी थी।

जैसे तैसे करके मैं स्टेशन पर पहुँच गया पर ट्रेन अभी कुछ देरी से आ रही थी।

मैंने स्टेशन पर ही कुछ खानें का सामान और पढ़ने के लिए उपन्यास ले ही रहा था कि तभी ट्रेन के आने का संकेत हो चुका था।मैं प्लेटफार्म की तरफ भागा और जाकर एक सीट पर बैठ गया।

ट्रेन को चले कुछ ही समय हुआ था की मुझे नींद आने लगी।

मैं अपना सर दोनों पैरों के ऊपर रखकर सोने लगा।

थोड़ी देर बाद जब मेरी नींद खुली तब मेरी नजर एक चाँद से चेहरे पर पड़ी जो कि मेरे सामने ही बैठा था।

मेरी नजर उसपर रुक सी गयी थी लेकिन उस लड़की ने अपनें मुँह को गुस्से से दूसरी तरफ घुमा लिया।

मुझे याद नही है कि मैंने अपनी इस छोटी सी ज़िन्दगी इतनी खूबसूरत लड़की पहले कभी देखी भी हो।

उसको देखने की मुझे दोबारा हिम्मत तो नही पड़ रही थी पर उसके मासूम से चेहरे और प्यारी सी मुस्कान मुझे उसकी तरफ देखने को मजबूर कर रही थी।

मैं बार-बार चुपके से उसको देख रहा था पर साथ मे डर भी लग रहा था क्योंकि वो मुझे गुस्से से देख रही थी।

ट्रेन की रफ्तार कुछ धीमी हुई शायद कोई स्टेशन आने वाला था।

ट्रेन के रुकते ही भीड़ का एक बड़ा सा टुकड़ा मेरे वाले ही कोच में आ गया।

उसमे से कुछ बदमाश लोग भी थे जो की मेरे सामने बैठी लड़की को बड़ी गंदी तरीके से घूर रहे थे।

मैं उनको कुछ कहने के लिए उठा ही था कि अगला स्टेशन आ गया और वो सब वही उतर गये।

उस लड़की ने मुस्कुराते हुए अपना मुँह पीछे की तरफ घूमा लिया पर जहाँ तक मुझे दिख रहा था की वो अभी भी मुस्कुरा रही थी।

थोड़ा समय गुजरा ही था कि मुझे फिर से नींद आने लगी।मैंने अपना सर पीछे की तरफ सीट पर रखा ही था अचानक कि मेरी नजर उस पर पड़ी वो मुझे देखकर मेरी ही जैसे सोने की एक्टिंग कर रही थी।अब उसकी इस शरारत से मुझे नींद कैसे आ सकती थी।

मैं सीधा होकर बैठ गया और उसे फिर से देखनें लगा पर वो अब पास में ही बैठी एक महिला से बात करने लगी।

मेरी तरफ उसका थोड़ा सा भी ध्यान नही था पर उस महिला से बात करते हुए वो बार-बार चुपके से मेरी तरफ देखकर मुस्कुरा भी रही थी…..

अगले भाग के लिए बनेंं रहें✍️✍️


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Rahul verma