दिल भी बड़ा अजीब है !

दिल भी बड़ा अजीब है!

युँ ही बड़ा धड़कता है उसके लिए!

जिसे खबर ही नहीं!

न ही कोई फर्क़ ही पड़ता है उसे !

कि कोई बेहिसाब उसे चाह रहा है !

वेबजह परवाह किए जा रहा है!

दिन रात उसके लिए!

दुआ किए जा रहा है !

बस अपनी ही मर्जी किए जा रहा है!

उसके लिए कभी अश्रु बहा रहा है!

और कभी सोचकर यूँ ही मुस्कुरा रहा है!

कभी परिन्दे की तरह फड़फड़ा रहा है !

तो कभी एक हिरण की भांति !

मृग तृष्णा के पीछे दौड़ रहा है !

जिसे कभी पा नहीं सकता !

उसे नींद में ही दस्तक दिए जा रहा है !

ख्वाब के सहारे उस तक !

पहुंचने की कोशिश किए जा रहा है !


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Rahul kiran
Bihar