दिल भी बड़ा अजीब है !
दिल भी बड़ा अजीब है!
युँ ही बड़ा धड़कता है उसके लिए!
जिसे खबर ही नहीं!
न ही कोई फर्क़ ही पड़ता है उसे !
कि कोई बेहिसाब उसे चाह रहा है !
वेबजह परवाह किए जा रहा है!
दिन रात उसके लिए!
दुआ किए जा रहा है !
बस अपनी ही मर्जी किए जा रहा है!
उसके लिए कभी अश्रु बहा रहा है!
और कभी सोचकर यूँ ही मुस्कुरा रहा है!
कभी परिन्दे की तरह फड़फड़ा रहा है !
तो कभी एक हिरण की भांति !
मृग तृष्णा के पीछे दौड़ रहा है !
जिसे कभी पा नहीं सकता !
उसे नींद में ही दस्तक दिए जा रहा है !
ख्वाब के सहारे उस तक !
पहुंचने की कोशिश किए जा रहा है !
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