जरूरी नहीं कि हर बात !
जरूरी नहीं कि हर बात संवैधानिक दायरे में ही हो
कुछ बातों का दायरा इतना बड़ा होता है
कि वहाँ संविधान भी मौन धारण कर लेती हैं !!
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कि वहाँ संविधान भी मौन धारण कर लेती हैं !!
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