वो मोहब्बत भी भला क्या मोहब्बत है..!
वो काम भला क्या काम हुआ
जिसमें रक्त रंजित न हो जाये
वो मोहब्बत भी भला क्या मोहब्बत है
जो छोड़ एक, हर नाम हुआ…!
वो काम भला क्या काम हुआ
जिसमें न कोई तोहमत हो
वो मोहब्बत भी भला क्या मोहब्बत है
जिसमें शोरगुल नादान न हो..!
वो काम भला क्या हुआ
जिसमें तुमरा कोई नाम न हो
और वो मोहब्बत भी क्या मोहब्बत है
जो छोड़ दामन सर -आम हुआ.!
वो काम भला क्या काम हुआ
जिसमें आह, उफ़ तक न हो
और वो मोहब्बत भी भला क्या मोहब्बत है
जो एक छोर से शाम हुआ ..!
वो काम भला क्या काम हुआ
जिसमें न सुब्ह शाम हुआ
वो मोहब्बत भी क्या मोहब्बत है
जिसमें न जिस्म मिली और जान हुआ..!
वो काम भला क्या काम हुआ
जिसमें न नफा नुकसान हुआ
और वो मोहब्बत भी भला क्या मोहब्बत है
जिसमें न आंखे मिली फिर, जाम़ हुआ ..!
वो काम भला क्या काम हुआ
जिसमे मान,सम्मान न हो
और वो मोहब्बत भी भला क्या मोहब्बत है
जिसमें चारों ओर चौगान न हो …!
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