बारिश
रिमझिम बारिश से मुझे मुहब्बत है
दिलचस्पी इंद्रधनुष भी मन को भाता।
यादें मुझमें अनोखी बरसात की , फिर भी
निदाघ की बारिश के लिए
यूहीं २ही इंतज़ार में ॥
दक्षिण-पश्चिम से बूँदें मुझमें बरसाने
एक पल बैठे रहे मोह में।
सुख – विलंब के अंतिम घड़ी में तू
नव रेत की वास लेकर मेरे निकट
खिलवाडी हंसी के साथ आ गई मेरे पास ॥
पूर्वोत्तर बादल से खींचे चित्र को देख
सुबह_शाम जो इंतजार २हा।
मुसलधार बारिश अंत में खुशी के छलांग से
आई गाज पर मेरे निकट
खिलवाडी हंसी के साथ आ गई मेरे पास ॥
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