तथ्य
है समय बाकी अब भी
कर सकता है तू कुछ यदि
तो कर खुद में तू बदलाव सही
कर स्वीकार तू तथ्य यही |
जाने दे न व्यर्थ यूं
खाली समय को सही
खींच दे तू लकीर वक्त की सही
कर स्वीकार तू तथ्य यही ।
न्योछावर न कर तू
जीवन अपना दूसरों पर यूं ही
बाकी हैं तेरे सातों जन्म
कर स्वीकार तू तथ्य यही ।
न जाने दे व्यर्थ यूं ही
कई निगाहें तुझपे टिकी
छोड़ सारे जहां को ,मन
लक्ष्य पर केंद्रित कर सही
कर स्वीकार तू तथ्य यही ।
संतोष न मान तू इतने से
कर रही इंतज़ार तेरी मंज़िल सही
कर हौसलें को बुलंद यूं
कि हिला ना सके कोई नीव सही
कर स्वीकार तू तथ्य यही ।
स्वीकार मत कर तू तथ्य केवल
यदि आज मंज़िल है तुझसे दूर खड़ी
फेर दे सिलसिला वक्त का यूं
तेरी तरफ हो संसार सही।
सत्य आजमाकर देख यही
तथ्य आजमाकर देख यही
तथ्य आजमाकर देख यही ।।
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