दिल से दिल तक

हवाएं बही – आँधी भी चली, शाखों से अभी कुछ पत्ते भी टूटे हैं कुछ वक्त लगेगा मनाने को उन्हें वो आज या कल ही रूठे हैं।

तुम्हारे ही होने से मेरा दिन दिन है और रात रात है

तुम्हारे लिए तो सदा हूं मैं,

पर जो तुम नहीं तो फिर क्या दिन क्या रात है।

तुम चलते रहो ज़माने में बेफिकर तुम्हें मेरा साथ है

तुम्हें मेरा भरोसा काफ़ी है, मेरा भरोसा साईनाथ है।

इस राह में तुझे खुद से खोने का कफ़न भी है।

तुझसे रूबरू होने में कई जख्म दफ़न भी है।

साथ निभाते हो तुम मेरा, मेरी ही छवि हो क्या ?

मेरे सारे राज़ जानते हो, तुम कोई कवि हो क्या?

बैठो मुझसे बातें करो, दिल मेरा अभी भी बच्चा है।

ज़माने को छोड़ तुझे अपनाने में थोड़ा ही कच्चा है

तुम ज़माने की ख्वाहिश फरेब अपना लो

मैं तुम्हारी झूठी सच्चाई अपना लूँगा,

तुम्हारा दिल खुद है गवाह, दिल मेरा अभी भी सच्चा है।

एक बात बताओ, फिज़ाओं से तुम्हारा कुछ वास्ता है क्या ?

तुम जहां चल दो, मैं चलूँगा, ऐसा भी कोई रास्ता है क्या ? फ़रियादों में मुझे रखा करो वैसे भी तुम्हें कोई काम थोड़ी है

तुम तुम हो, हम हम हैं, भला यह भी जाति नाम थोड़ी है।

धूप में चलते तुम, मैं जहाँ पर छाया है

उलझनों से मेरा वास्ता क्या, उनपे तेरा ही साया है।

जज्बातों की फरमाइश में दीवानगी का दिल इस्कदर बैठे हैं।

तुम्हें महसूस कर हम यादों की याद से खुद को यूं भुला बैठे है

तुम ज़माने को ठुकराने की बात करते हो

तुम्हें अपना दिल थमाकर हम तो दरिया दिली ही गवां बैठे है ।

तुम मेरी साँसे भी संग अपने गिनते रहना

ख़त में ही तुम स्याही की धड़कन कहना

विश्वास है तुम्हें मुझपे अपना मानते हो ?

सांसें तो गिनते हो, पर क्या मुझे जानते हो?

अब मुझे भी ले चलो अपने बहाव में बातें अभी बाकी है,

बैठेंगे-चर्चा भी करेंगे ,मैं कहीं बह न जाऊं

तुम्हारे चंचल तेज बहाव में

रोक सको तो रोक लो मुझे अपने आशियाने के ठहराव में ।

बेफिक्र मुझे तेरा साथ है, इस जमीं से आसमां तक

सांसें गिनना, पंक्ति जब तक है दिल से दिल तक ।।


Discover more from ZorbaBooks

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Leave a Reply