न्योता
हम तुम्हें न्योत रहें हैं भगवन,
हमारे अंगना आ सकोगे ?
अपनी कृपा बरसा सकोगे?
बिना खड़ाऊ ही चले आना
कांटे मेरे मित्र हैं, तब वो फ़ूल बन जायेंगे
हे भगवन! जब आप हमारे अंगना आयेंगे ।
नहाकर नहीं आना
पगडंडी से तुम्हें कुएं पर ले चलेंगे
केशव देह को तुम्हारे उबटन मलेंगे
देह को पानी स्पर्श कराना
हे भगवन! तुम खूब नहाना।
आज़ ही बांधा गया है मंडप
दूब हटाकर लेपी है ज़मीन
आज़ ही दरी गई है नई नई दाल
तुम आओ जैसे कोई नया साल ।
हम तुम्हें न्योत रहें हैं भगवन
हमारे अंगना आ सकोगे ?
बंजर धरा पर मेघ छा सकोगे?
किसी और ने न न्योता हो तो आओ
भोजन करो साथ हमारे
अपने जूठे हाथों से हमें खिलाओ
वही दाल वाला हाथ सर पर रख
मुझे सदा के लिए जूठा कर दो
हृदय की पीड़ा को अश्रु तर दो।
हम तुम्हें न्योत रहें हैं भगवन
हमारे अंगना आ सकोगे?
शादी में फूफा रूठ गए हैं!
उन्हें तुम मना सकोगे?
दुपहरी में यहीं रुकना
यहीं मंडप तले सहुंताना
नींद आए तो सो जाना
जब शाम में उठना
चाहना तो हमसे बतियाना
बताना उस पौधे के बारे में
जिसे आजकल पानी दे रहे हो
उन सुनहरी यादों के बारे
बीती हो रात जिनके सहारे
उन पर्वतों का कराना ज्ञान
जहां लगाते हो तुम ध्यान
हम तुम्हें बड़े ध्यान से सुनेंगे
चुपचाप नहीं , हांमी भी भरेंगे ।
हम तुम्हें न्योत रहें हैं भगवन
हमारे अंगना आ सकोगे ?
बखरी में हमारे प्रेयसी भी न्योते हैं!
प्रियतमा से मिलने आ सकोगे ?
कोई काम न हो तो रात रोकण करना
नहीं मानना तो चले जाना
जाना तो पता देते हुए जाना
हमें भी न्योतना अपने पर्वत में
भोजन कराना और गप्पे लड़ाना।
लौटते समय, हम फिर से तुम्हें न्योतेंगे भगवन!
हमारे अंगना आ सकोगे?
उत्तर हां या न में बता सकोगे?
पूर्ण विश्वास है तुम पर
तुम भी ऐसा भरोसा जता सकोगे ?
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