प्रणेता या राजनेता
राह यहां नहीं आसां है विकास के आग़ाज़ की
नेता ने बर्बाद कर दी नींव सियासत के काम काज़ की
बनना चाहते ये जैसे आज अंबानी है
सारे राजनेता को केवल शोहरत कमानी है
दिमाग नहीं उनका अब वह दीमाक है..
भारत का कराया विकास इन्होंने ख़ाक है
सुना था कि दूंगा अपने लिए इनको वोट है
था न पता पर कि इनके मन में ढेर सारा खोट है
गली गली चोर है, पर राजनेता ही वो चोर है
हर जगह मचा यही शोर है ।
चुनाव से पहले सत्ताधारी करते आलू टमाटर है सस्ते
बाद में सांप बनकर यही लोग है डसते
साथ ही में किया इन्होंने अच्छे लोगों को खून है
प्रजा बिन राज अब तो लागे सून है।
दूध उबलने पर मारे उफान है
एक दिन आता न्याय का तूफ़ान है
बचा के रहना ऐ राजनेता उफान से
बना लो झोपड़ी दूर अपने मकान से
न्याय की आवाज़ कभी ये न सुनते है न्याय
दिलाने कदम कदम पे पैसों का जाल ये बुनते है।
लड़कियों की इज्ज़त तू मत लूट
दे कभी प्याज़ टमाटर में भी भारी छूट
बनो तुम मसीहा गरीबों के निकास के लिए
ताकि भारत बन जाए मिसाल विकास के लिए
मूढ़ ठहरा आज मैं सबसे बड़ा
नेता की भांति दिमाग औरों का भी सड़ा
भविष्य में भले ही कुछ न बनूंगा पर
वादा करता कि कभी राजनेता न बनूंगा
आयी नहीं क्रांति तो आकर मुझे मार
और कितनी क्रांति लाऊं, जिस पर क्रांति पत्र
लिखा ,कागज़ फट कर वो भी होने लगे चार ।
आई क्रांति तो मांगो राजनेता से अपनी खीर
लाने और भी क्रान्ति मैं दूंगा कलम को चीर ।
वर्तमान में निराशा पूर्ण है राजनेता की परिभाषा
कोई तो बदलेगा इसे, मेरी है यही छोटी सी आशा।।
Discover more from ZorbaBooks
Subscribe to get the latest posts sent to your email.