मत मचल
रे पेट! मत मचल
मत सता तू इतना
क्या रह गई तुझमें कमी
क्यों है तू इतना दुखी
रे पेट! मत मचल ।।
क्यों दे रहा है पीड़ा
क्यों कर रहा है मजबूर
बिस्तर को जाने पर
रे पेट! मत मचल ।।
तू क्यों नहीं सम मामूली दर्द
तू मचलने का कारण जानती नहीं
मचल रही है तू अत्यधिकता के कारण
या अभाव के कारण
रे पेट! मत मचल ।।
तृष्णा को मैं प्रशमित करता हूं
सुबह से आज मैं भूखा हूं
बेवजह दर्द से मैं सूखा हूं
नुस्खे आजमाते हैं मनाने को अनल
रे पेट ! मत मचल , रे पेट! मत मचल।।
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