विश्व महिला दिवस
क्यों, क्यों आज ही तुम भी
मैं भी,कलम भी मेरी है विवश
साल भर कुरीतियों से हो कुंठित
आओ मनाए विश्व अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस ।
इनकी उपलब्धि ही सब करती बयां
नारीवाद की सुनो यह अनोखी दास्तां
ख्याल में भी रहता है ये दिन
तुम्हारे बचपन, जवानी से सयां ।
वो मां भी हैं, एक बेटी भी हैं
कुछ न होते हुए एक मनोभाव है
औरों के लिए भले ही कठोर,
ममत्व के लिए मृदुल स्वाभाव है
वो किसी की भगिनी है, रक्षा करती समस्याओं से
वो संगिनी भी है, सांत्वना से मुक्त करती व्यथाओं से।
स्त्री है उसकी दूसरी परिभाषा
आधुनिक समाज में कुंठित
करने की है तुम्हें अभिलाषा
लोग तो कहते हैं कि वो क्या कर सकती है,
कलम कहती है, वो स्त्री है, कुछ भी कर सकती है।
बोझ नहीं है वो इस धरती पर
समाज ही है प्रति उनके सख़्ती पर
रिश्तों की वह डोर है, मालाओं की जैसे कड़ी
भांति बिना सुई के, है अधूरी जैसे घड़ी
कलम भी आपको तुच्छ साबित करती है।
नारी कई पीढ़ियों को शिक्षित करती है
शिक्षा रौशनी की लौ जलाने को जिसने ठानी है
अशिक्षा को मिटाने वाली महिला वो स्मृति रानी है।
समाज का दर्पण भी देखता कहां है सूरते इनकी
तुम कितने अम्ल फेकोगे मुझ पर, सूरत को मेरी बिगाड़ोगे
मैं लक्ष्मी हूं. उडूंगी लडूंगी ,तभी तुम स्वयं को सुधारोगे।
( लक्ष्मी अग्रवाल – Acid attack surviovor )
तुम नज़र उठाओगे, मुझे नज़र झुकाना पड़ेगा
तुम्हारे इस नजारे को बदलकर दिखाना पड़ेगा
37 साल उम्र में 7 स्वर्ण पदक जीतने वाली महिला
महिला का मुक्का तुम्हारी सोच को भी खाना पड़ेगा।
(Mary Kom – Boxing champion)
तुम्हारे सपनों में , मेरी रफ्त को काबू की एक अरदास है
सपनों में पानी फेरना , भारतीय हूं, नाम हीमा दास है।
तुमने अदाकारी पर भी सोच का सामंजस्य बिठाया है
मैंने अपने संघर्षी जीवन के उन दिनों को भी छिपाया है
तुम बात करते हो अनन्या पांडे की,
मैंने सलमान, शाहरुख, आमिर को सवारी कराया है।
(अनुष्का शर्मा भारतीय अदाकारा )
सुना है तुम चर्चित समाज में प्रधान हो
तुम 3 शब्द बोल कर अपनाते हो,
3 अंश अंकित कर पीछा छुड़ाते हो
ज़ख्म बहुत दिए तुमने,
अब इन्हीं पर मरहम लगाकर
फरिश्ता तुम कहलाते हो । ( शाह बानो – 3 तलाक )
तुम कहते हो, मेरा जज्बा बहुत कमजोर है
मुझको हवाओं से बाते करने का शोर है
मैं शिवानी हूँ, मुझे असंभावनाओं में ही
उड़ान भरने का एक नया ज़ोर है। (First Female Pilot)
भारत आपका ही तो प्रधान देश है
गद्दी के हकदार आप ही सुल्तान है
पर आपसे इसका तो दावा भी न हुआ
प्रथम मुस्लिम शासिका, नाम मेरा रजिया सुल्तान है।
तुम हाथों में बेलन देकर रोटी बनवाते हो
खेल को मनोरंजक साधन बतलाते हो
मेरी जीत तुम्हारी हार की बदौलत ही तो
बैडमिंटन में भारत को कांस्य पदक में देख पाते हो ।
दहेज़ छूआछूत नामक बीमारी को बढ़ाना तुम्हारा काम है बीमारी से जन-जन को ग्रसित होना सुबह-शाम है
पर समाजसेवी बन फैलने वाली
बीमारी को शिक्षित कर मिटाना मेरा काम है।(ज्योतिबा फुले)
घर की चौखट को कदम तुम्हारे सलाखें भी कहती
इन चूडियों को तुम्हारी समझ बेड़ियां भी समझती
इन घुघटों को आजादी की भनक क्या लगी
मैं तो ठहरी लक्ष्मीबाई , आखिर
अंग्रेजों को भारत में कब तक सहती ।
तुम्हारी सोच ने तो ऊँचाई को नीचा देखा है।
मैंने अपने आपको तुम्हारी सोच से
दो बार माउन्ट एवरेस्ट चढ़ते देखा है। (संतोष यादव )
तुम कब तक अनसुना करोगे मेरी आवाज़ को
‘ऐ मेरे वतन के लोगों सुनकर ही नाम करोगे उस सरताज़ को (स्वर कोकिला लता जी)
उड़ान को मेरी तुम काल्पनिक बताओगे
एक कल्पना तो मैं खुद ही हूँ
तुम्हारे दायरे से ऊपर मेरी इस
उड़ान को देख दांतो तले ऊँगली दबाओगे ।
कुत्तों से भी मैं क्या तुम्हारी तुलना करूँ
आजादी से चलने के लिए क्या भी डरूँ
अब तो ये मूक कुत्ते ही वफादारी निभाते हैं
अपना अस्तित्व उजागर करने और कितनी दफा मरूं।(पीड़िता)
कलम भी अब सवाल पूछती है मुझसे
केवल मार्च 8 को ही क्यूँ मजबूत रहती है नारी
कलम भी समझदार है इतनी कि 364 दिन
समझती नहीं उन्हें दुनिया सारी।।
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