सड़क दुर्घटना
तलाश है आज मुझे ऐसे अल्फाजों की
जो बयां करें, यातायात एहतियातों की
चंद पलों की दूरी से अश्क ही तो रोते हैं
कि मुझे बाहर निकालने हेतु दुर्घटना भी होते हैं।
हर तरफ युद्ध का एक भयंकर नज़ारा है
रफ़्तार के खेल ने लगाया मौत का बाज़ारा है
युद्ध में मैदान पैदल पारपथ है
अंधे की लाठी उन्हीं को सार्थक है
वाहन की तीव्रता है प्रभावशाली हथियार
तीव्रता में संयम बरतने वाला विजयी दावेदार |
इस भ्रम में तुम रहे तुम्हें गाड़ी चलाने आती है
नियमों को अनदेखी, तुम्हें गाड़ी चलाने भाती है
कोई शताब्दी की रफ़्तार से आगे निकलता है
किसी की जान लेकर दम लेता है।
कोई और उसका निशाना न बन सका तो,
कभी खुद को ही क्षतिग्रस्त कर देता है।
आवारा जानवरों की स्तब्बधता भी कुछ कहती है
उन्हें तो सड़क ही है, तुम्हें तो ईमारत डेहती है
सड़क पर तीन बत्तियों की मानें बात ज़रूर
कितनी जाने बचेंगी इस प्रयास से भरपूर
लाल दिखे तब रुक जाना, पीली दिखे रहना तैयार
हरित हो – चल पड़ना, यदि करना हो अपनों का दीदार
मत समझो हेलमेट व्यर्थ तुम, फ़ोन शराब भी करता गुम
सीट बेल्ट रुकावट का फंदा, जानलेवा ये करता चौपट धंधा यातायाती शून्य का इतना भी ना करो अपमान
शून्य की गणना करके ही चलाओ कोई भी वाहन
स्पीड जब करने लगे नियमों की सरहदें पार
सोचो उनके लिए, कर रहे जो तुम्हारा इंतज़ार
माँ, बहिन, पिता, प्रियतमा की प्रतीक्षा ना हो विफल
यातायात कर्मियों को भी सुनो, उनके भी यत्न हो सफल ।
गुफ़्तगू नहीं है यह श्रोता और वक्ता के बीच
संदेसा सम्मुख भी प्रख्यात करने की करें रीझ
कवि सहित जनों के प्रयत्नों से नहीं होगे चर्चित तुम
अब तो अपनी तीव्रगति को मंद में करो परिवर्तित तुम ।।
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