देश मे हलचल हुई है
आज फिर शोर और कौतूहल सुनाई दे रहे है,
सोशल मीडिया पे पोस्ट ज्यादा दिखाई दे रहे है।
लगता है, आज देश फिर से जाग उठा है,
हाथो मे लिये मशाल निकल पडा है।।
आज फिर बुद्धिजीवीयो ने चर्चे किये है,
कुछ राजनेताओं ने बेतुके से तर्क दिये है।
लगता है, आज देश फिर से कांप उठा है,
जलती लपटो को देखकर अन्धेरे से डरने लगा है।
आज फिर जात धर्म पर बातें छिडी है,
इन्सनो मे इंसानियत धरी की धरी है।
लगता है, आज देश फिर संवेदनशील हो उठा है
खेर छोडिए, चंद दिनो का ही तो मसला है।
आज फिर सजा देने कि बात करी जा रही है,
किसी को सहमा कर, घर मे कैद करने की साजिश रची जा रही है।
लगता है आज फिर देश मे देवी के दर्जे को ठेस लगी है
देवी छोडिए, आप नारी को इन्सान ही मानिये काफ़ी है।
Discover more from ZorbaBooks
Subscribe to get the latest posts sent to your email.