अधूरा सपना - ZorbaBooks

अधूरा सपना

कल रात क्या खूब सपना देखा मैंने ,

वो सपना पूरा हुआ सा दिखा मुझे ,

जिसके लिए लोगो ने मुझे लाख ताने मारे थे ।

आज अपने आपको उसके लिए मरते देखा मैने ,

देखा मैने आज अपने आपको उसके लिए मरते ,

जिसके लिए मरने का सपना था मेरा ।

बड़े प्यार से गले लगाया था उन्होंने मुझे ,

जब कुर्बान हुई थी मैं उनके लिए ,

बहुत पहले से जानती थी शायद वो ,

की मैं उनके लिए मरना चाहती हू बस ।

किसी से कहते हुए सुना था मैने उनको ,

की कर दिखाया मैं ये काम ,

कल रात मैने सपने में देखा ,

की कुर्बान हुई मैं अपनी धरती मां के लिए ।

कुर्बान हुई मैं उनके लिए जिनके लिए ,

मरने का सपना बचपन का था मेरा ,

अपने आपको उनके लिए कुर्बान करना था मुझे ,

करती भी क्यों ना आखिर वो भी तो मां ही थी मेरी ।

जिनके लिए मरने का सपना बचपन का था ,

कल वो सपना पूरा होते देखा मैने।


Discover more from ZorbaBooks

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Leave a Reply

Shweta vish