अधूरा सपना
कल रात क्या खूब सपना देखा मैंने ,
वो सपना पूरा हुआ सा दिखा मुझे ,
जिसके लिए लोगो ने मुझे लाख ताने मारे थे ।
आज अपने आपको उसके लिए मरते देखा मैने ,
देखा मैने आज अपने आपको उसके लिए मरते ,
जिसके लिए मरने का सपना था मेरा ।
बड़े प्यार से गले लगाया था उन्होंने मुझे ,
जब कुर्बान हुई थी मैं उनके लिए ,
बहुत पहले से जानती थी शायद वो ,
की मैं उनके लिए मरना चाहती हू बस ।
किसी से कहते हुए सुना था मैने उनको ,
की कर दिखाया मैं ये काम ,
कल रात मैने सपने में देखा ,
की कुर्बान हुई मैं अपनी धरती मां के लिए ।
कुर्बान हुई मैं उनके लिए जिनके लिए ,
मरने का सपना बचपन का था मेरा ,
अपने आपको उनके लिए कुर्बान करना था मुझे ,
करती भी क्यों ना आखिर वो भी तो मां ही थी मेरी ।
जिनके लिए मरने का सपना बचपन का था ,
कल वो सपना पूरा होते देखा मैने।
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