आज की नारी - ZorbaBooks

आज की नारी

मैं आज की नारी हूं, इतिहास रचाने वाली हूं,

पढ़ जिसे गर्व महसूस करे, वो इतिहास बनाने वाली हूं।

नारी हूं आज की, खुले आसमान में उड़ना चाहती हूं मैं,

बांध अपने जिम्मेदारियों का जुड़ा, अपने सपनों को पूरा करना चाहती हूं मैं।

अब अपने जुल्मों का शिकार, नहीं बना सकता कोई मुझे,

अपने गगन को सितारों से सजाने वाली किरण बेदी हूं मैं।

न मजबूर समझो, न लाचार हूं मैं,

अंतरिक्ष में परचम लहराने वाली कल्पना चावला हूं मैं।

न डरती अब मैं खाई से, न डरती ऊंचाई से,

पर्वत के शिखरों पर तिरंगा फहराने वाली अरुणिमा सिन्हा हूं मैं।

हां, मैं आज की नारी हूं, आवाज उठाने वाली हूं।

हो गई अति अब जुल्म नारी पर, अब इंसाफ की बारी है,

बहुत हो गया त्याग नारियों का,

अब नहीं होगा बलात्कार नारियों का,

पतन होगा अब दरिंदों और अत्याचारियों का।

मैं आज की नारी हूं, इंसाफ दिलाने आई हूं।

अब अबला नहीं सबला है नारी,

अपने पैरों पर खड़ी स्वतंत्र जिंदगी जीने वाली है,

खुले आसमान में उड़ने वाली है।

मैं नारी हूं, अपने समाज का निर्माण करने वाली हूं।

अपने कर्तव्यों और आदर्शों की रक्षा करने वाली हूं मैं,

हां, मैं आज की नारी हूं, नारी को सम्मान दिलाने वाली हूं।


Discover more from ZorbaBooks

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Leave a Reply

Sristi Mishra
Bihar