अफसाने फ़िज़ूल के..
महफिलें आसान थी हमनें ही मुश्किल बना दिया,,
कुछ अपनो ने कुछ हमने ख़ुद को सज़ा दिया,
निकलना चाहते तो कबका निकल जाते हम,
पर हमने खुशी छोड़ के ख़ुद को गम का मज़ा दिया,
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