आज हवाएं हंसती हैं।

आज हवाएं हंसती है,

मानवो के कर्म पर,

उनके लड़ते अपने धर्म पर,

उनके लालच और लोभ पर,

उनके विनाश के प्रकोप पर।

आज हवाएं हंसती है,

मानवो के समस्याओं पर,

उनके अनंत इच्छाओं पर,

उनके पुण्य और पाप पर,

उनके दिखावटी मंत्रों के जाप पर।

आज हवाएं हंसती हैं,

मानवो के दुर्भाग्य पर,

उनके कर्महीन भाग्य पर,

उनके समय और काल पर,

उनके बुरे स्थिति के हाल पर।

 


Discover more from ZorbaBooks

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Comments are closed.

Sumit anand