ऐ जिंदगी.... - ZorbaBooks

ऐ जिंदगी….

ऐ जिंदगी आ बैठ,

कहीं चाये पीते हैं

थोड़ा-सा सुस्ता लेने दे,

फिर दुबारा चलते हैं

थक गई होगी तू भी,

मेरे संग दौड़ लगाते-लगाते

तरोताजा होकर फिर से,

ऊँची उड़ान भरते हैं

इतनी क्या है जल्दी चलने की,

उम्र के इस पड़ाव में थोड़ा संभलकर चलते हैं

और इंतजार न करवाऊंगा अब तुझको,

बस एक-दो चुस्की ओर मार लेते हैं

देख तो मौसम भी गड़बड़ा गया है,

दो पल इसी बहाने मुसाफिरों के संग भी गुजार लेते हैं

फौगाट की कलम की लिखी कुछ यादें,

अपने दिल में उतार लेते हैं

ऐ जिंदगी आ बैठ,

कहीं चाये पीते हैं


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Supriya Jain
Delhi