अल्फ़ाज़
आँखो से याद बन, आँसू सा फिसल जाऊंगा
ये जो बात-बात में शब्दो में समेट लेते हो न,
देखना एक दिन तुम्हें चंद लफ़्ज़ों में कैद कर जाऊंगा।
ये जो बिखरे जज़्बात है न दिल में,एक दिन हर्फ़ दर हर्फ़ पन्नो पर सवार लाऊँगा,
तू मुझसे है, मुझी तक ही ये बात भी तुझको बतलाऊंगा
जो कह न सका कभी, वो सब कुछ लिख कर जताउंगा
देखना एक दिन तुम्हें चंद लफ़्ज़ों में कैद कर जाऊंगा।
तू कहती थी ना बरसात पसंद है, तो बिना छत के घर भी बनवाऊंगा
जितने ख़्वाब है न तेरे , उन सभी की तरह तेरे पलको पर बिखर जाऊंगा
तेरे हालात नही तेरे जज़्बात बयां कर जाऊंगा
और याद रखना, एक दिन ऐसा भी होगा जब तुम्हे बिना कहे सब को सब कुछ कह जाऊंगा
देखना एक दिन तुम्हें चंद लफ़्ज़ों में कैद कर जाऊंगा।
एक दिन तुम्हें चंद लफ़्ज़ों में कैद कर जाऊंगा।
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