प्रशंसा
देख मुझे तू,
मुझे आस है , किसी की ।
दे पंख मुझे तू , उड़ना चाहती हूँ , मैं ।
दे साथ मेरा तू , चलना चाहती हूँ , मै ।
दे मंजिल मुझे तू , पाना चाहती हूँ , मै ।
दे ख्वाब मुझे तू , देखना चाहती हूँ , मै ।
दे साहस मुझे तू , लड़ना चाहती हूँ , मै ।
बस कर दे एक बार जु़बान से प्रशंसा मेरी , फिर से जिंदगी जीना चाहती हूँ , मै ।
– उत्कर्षा कोष्टा
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