आसान अगर होता कहना…….

आसान अगर होता कहना  तो मैं भी कुछ हाल बताता

जो मैने तोड़े ख्वाब तुम्हारे उनका अंजाम सुनाता 

की कैसे बेरुखी से घोल दिया ये ज़हर मेरी नादानी ने 

ये सोच के अब घबराता हूं, दिन बीत रहे हैरानी में 

किसी के लिए तुम फरिश्ते

कोई खुदा तुम्हे बतलाता है 

फिर खुदा की इतनी बेरुखी,  बताओ भला कौन सह पाता है!

माफ़ करो भाई खुदा हो तुम ना ?

ये बेरुखी अब ठीक नही 

अब लौट आओ बेहतर हो जीवन 

चलो माफ़ी ना तो भीख सही!

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 


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Yuva Gustakh