Chak Chumban चाक चुम्बन - ZorbaBooks
चाक चुम्बन

Chak Chumban चाक चुम्बन

by संतोष सिंह राख़

199.00

E-Book Price ₹99 / $3.99

Genre ,
ISBN 9789390640393
Languages Hindi
Pages 180
E-Book Available

Description

Chak Chumban

चाक चुम्बन

 

“ चाक चुम्बन ” समाज व तंत्र के बीमारू व्यवस्था के ऊपर विवरणात्मक, भावात्मक एवम आलोचनात्मक कुठाराघात है। वास्तव में यह पंक्ति में खड़े हर उस आखिरी व्यक्ति की अभिव्यक्ति है, जिसे सिस्टम ने टिश्यू  पेपर समझ अपनी नाक साफ कर उसे रिसाइकल होने तक के लिए नहीं छोड़ा । “ राख़ ” समर्पित है उस तंद्रित जन समूह से बने आधुनिक रोबोटिक समाज को, जिसने उसे चेतना दी, संवेदना दी, पीड़ा दिया, जगाया, भगाया और दबाया कि कुछ तो वमन कर | कबंधासुर की तरह जीवन जीना छोड़, आलस्य को पीना छोड़ | “ चाक चुम्बन ” उस दाब का प्रष्फ़ुटन है, उसी की अभिव्यक्ति है, जगत का, समाज रूपी जगदीश का | उम्मीद है “ चाक चुम्बन ” अग्नि से भरी म्यान साबित होगी। इसकी रचनाओं में प्रकट विचार – बारूदों की बाहुल्यता और आने वाली नस्ल को अभिमन्यु बनाए जाने का प्रारूप है। माँ भारती से मेरी प्रार्थाथपिना है कि मेरे शाब्दिक बमों की गूंज, शहीदे आज़म भगत सिंह के द्वारा सेंट्रल ऐसम्बली में फेंके गए उन बमों के विस्फोट के समान गूँजे, जिससे कि इस देश में व्याप्त जातिगत द्वेिेष, मजहबी उन्माद तथा तथाकथित मौकापरस्त स्वार्थिाथपिलोलुप तंत्र के ठेकेदारों की तंद्राएँ उड़ सके | उत्तिष्ठ भारत | जय हिन्द |
~~~ संतोष सिंह “ राख़ ”

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