Description
(फूलों का गुलदस्ता)आदरणीय पाठक गण,
सादर नमस्कार।
भगवत्कृपा से मन चित्त बुद्धि को सुकून, शांति प्रदान करने वाली प्रार्थनाओं से, काव्य रस पूर्ण कविताओं से, अपने आराध्य की स्तुतियों से भरपूर, ये किताब आप सब के समक्ष है। इन रचनाओं में से कुछ स्वरचित कविताएँ प्रार्थना स्वरूप हमारे जीवन के कारण हमारे माता पिता, पूर्वज, ईश्वर के अनेक अनेक रूपों का निरूपण करने वाली होंगी। कुछ स्वरचित कविताएँ हमारे जीवन के पूरक अन्य विभूतियों जैसे मिट्टी, घर, स्वभाव, अभाव अंदर बाहर की वो अनुभूतियाँ जो जीवन का सार बताती हैं उनके बारे में मिलेंगी । कुछ जीवन में निखार लाने वाली जैसे मेहनत, कर्म, कर्तव्य, बाह्याभ्यान्तर सौंदर्य , प्राकृतिक माधुर्य को निरूपित करने वाली मिलेंगी, कुछ मन आह्लाद, मनोरंजन के लिए हास्य, व्यंग लिए होंगी।
अंत में वो स्तुतियाँ होंगी जिनको हम सुनते पढ़ते पाठ करते आये हैं । जो पृथक पृथक ग्रंथों से चुनकर समुच्चय रूप इस पुस्तक में अपने ईष्ट आराध्य आराधन हेतु रखी गई हैं।
ये स्तुतियाँ ऐसी हैं जो मुझे एक स्थान पर, एक पुस्तक में कभी नहीं मिली तथा जिनकी मुझे हमेशा जरूरत रहती थी । कोई स्तुति मुझे चाहिए होती थी तो अलग अलग पुस्तकें खंगालनी पड़ती थी। जैसे श्री शिव तांडव स्तोत्र और देवी सूक्त, या श्री सूक्त अथुवा अति लाभ कारी शनि स्तोत्र, या फिर हनुमान चालीसा, राम स्तुति आदि, जो सब को कंठस्थ नहीं होती विशेष रूप से बच्चों को । इन सब को खोजने अनेक अनेक पुस्तकों और वेब साइट्स पर जाना पड़ता था। अपने आराध्य को हम सब नित्यप्रति स्मरण करते हैं किंतु व्यवस्थित स्तोत्र पुंज न पाने के कारण मन इच्छित समुचित आराधन नहीं कर पाते हैं । इसलिए मुझे इसकी आवश्यकता अनुभूत हुई। निश्चित ही मैं मानता हूँ कि आप भी इन स्तुतियों को खोजने अनेकानेक पुस्तकें पास रखते हैं, किंतु अब नहीं, शायद आपका एक ही पुस्तक से काम हो जाए । १०१ स्वरचित रचनाओं में से जो प्रभु स्वरूप को निरूपित कर रही हैं आप उनसे ही अपने आराध्य को अपने भक्ति सुमन अर्पित कर सकते हैं। क्योंकि वो सरलता से आपकी समझ में आ पाने वाली होंगी ।
अंत में निवेदन करता चलूँ कि ये पुस्तक सिर्फ़ अध्यात्मिक लाभ के लिए बनाई गई है । इससे धन बनाना या अन्य किसी लाभ की मेरी कोई अभिलाषा नहीं है । स्वांत: सुखाय – आध्यात्म लाभार्थ ये मेरा अति लघु एवं विनम्र प्रयास है। फिर भी यत्किंचित् जो द्रव्य प्रकाशन खर्च के बाद आ जाता है वह भारत में कल्याण कार्यों में लगाया जाएगा। गौ माता एवं गोशाला सेवा। संस्कृत पाठशाला एवं विद्यार्थी सेवा आदि, जो हमारे सनातन धर्म के पूरक हैं ।
ये पुस्तक प्रिय पाठकों को सप्रेम सविनय समर्पित है।
क्षमा प्रार्थी हूँ पुस्तक में त्रुटियों के लिए। बहुत आभारी हूँ आप सबों के आशीर्वाद और प्यार के लिए ।
प्रणत-
जगदीश जोशी।
पिट्सबर्ग ।
॥The beautiful poetic flower bunch basket॥
Dear Reader , Namaskaar.
With God’s infinite grace, The Collection of 101 Poetic compositions called “Padya Sumanaanjali”
and “Stuti Saar Samuchhay” the essential prayers of various forms of Bhagwan is here.
Among those compositions some of them are dedicated to various forms of Bhagwaan, some of them are about our surrounding atmosphere, inner realization and external realities, some, you may find with the intention of lightheartedness with subtle educational messages.
These compositions and prayers may provide peace of mind, relaxation and spiritual realisation. may stir your thoughts.
The Stutis or very common, yet, very rare glory prayers of various forms of Bhagwan are quite unique, they are selected from various scriptures and brought in one place, I never found them in one book, for example Shiv Tandava stotra and Hanumaan chalisa , Shri Shani stotra and devi sooktam etc. I always have to go through so many books to find them, some of them my kids and I need every day for Patham or parayanam, therefore, thought what I needed others may need too.
The Proven, the most effective prayer from scriptures are the most effective way for one’s upliftment and spiritual realization, if it is hard to pronounce Shlokaas, you may easily recite self composed prayers in Hindi from the book. This book is dedicated to readers everywhere.
This book is to promote devotion to Bhagwaan, blessings. Any proceeds collected after publication expenses will go towards the welfare of Sanskrit Vidyarthis , and Gaumata , Gaushaalaas in Bharath.
My sincere apologies for any shortcomings, mistakes you may find in the book. Thankful and grateful for your love and support.
About the Author
जगदीश चंद्र जोशी, जो “जगदीशजी” नाम से प्रसिद्ध हैं, का जन्म उत्तराखंड में हुआ। अध्ययन एवं उच्च शिक्षा काशी (वाराणसी) में पूर्ण करने के पश्चात् वे 27 वर्ष पूर्व अमेरिका पहुँचे। तब से अमेरिका के पिट्सबर्ग नगर स्थित हिंदू जैन मंदिर में कार्यरत हैं और वहाँ से जन-समाज एवं ईश्वर की सेवा में निरंतर संलग्न हैं।
जगदीशजी की साहित्य, संगीत और कला के प्रति गहरी अभिरुचि एवं ज्ञान ने उन्हें लेखन की ओर प्रेरित किया। वे मानते हैं कि “यत्किंचित् हमारे चारों तरफ़ बिखरा है, वह एक खुली किताब है, जिससे बहुत कुछ सीखा जा सकता है और हम सीखते भी हैं।” यही विचार और प्रेरणा उनकी अंतरहृद निहित सृजन शक्ति को स्वर देते हैं, जो प्रार्थनाओं अथवा कविताओं के रूप में अभिव्यक्त होती है।
संगीत के क्षेत्र में भी उनकी गहरी रुचि रही है। उन्होंने इलाहाबाद संगीत अकादमी से तबला वादन में “विशारद” तथा संस्कृत विश्वविद्यालय से गायन में “शास्त्री” की उपाधि प्राप्त की है। उन्हें तबला वादन एवं गायन, दोनों में विशेष निपुणता और अभिरुचि है। अपनी नियमित सेवाओं के साथ-साथ वे गायन-वादन की सेवाएँ भी प्रदान करते हैं तथा सामयिक, प्रासंगिक एवं आध्यात्मिक विषयों पर निरंतर लेखन करते रहते हैं।
उनके लेख अनेक पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं और वे अनेक कवि सम्मेलनों में अपनी कविताओं के माध्यम से सहभागिता कर चुके हैं।




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