एकांत सा जीवन चाहिए एकांत सा जीना चाहता हूँ।
खामोशी आ गई हैं मुझमें मैं अपने आप से भी कुछ न कहता हूॅं एकांत सा हो गया हूॅं मैं एकांत रहना चाहता हूॅं।
बहुत सी बदमाशी कर ली हमने बचपन से आज तक अब सही भी ना कुछ करना चाहता हूॅं एकांत सा जीवन चाहिए एकांत सा ज़ीना चाहता हूॅं।
खुब हुई लड़ाई-झगड़े अब न सीखना चाहता हूँ मैंने बेकसूर को भी बहुत पिटे अब किसी को और न पीटना चाहता हूँ एकांत सा जीवन चाहिए एकांत सा जीना चाहता हूँ।
नफ़रत की आग में मैंने बहुत कुछ तबाह कर दिया अब न करना चाहता हूँ खुब हुआ नाराजगी अब एकांत बन कर रहना चाहता हूँ एकांत सा जीवन चाहिए एकांत सा जीना चाहता हूँ।
हँसता खेलता था मैं पहले और अब मैं बहुत स्वार्थी सा हो गया हूॅं हॅंसना खेलना सब बंद कर अकेला रहना चाहता हूॅं एकांत सा जीवन चाहिए एकांत सा जीना चाहता हूॅं।
किसी को बहुत रुलाया प्यार मे मैंने अब नहीं रुलाने वाला हूॅं बहुत हुआ प्यार गलती मेरी थी इसलिए अब तो मान रहा हूॅं एकांत सा जीवन चाहिए एकांत सा जीना चाहता हूं।
न कोई सोर-सराबे ना कोई संगत चाहता हूॅं अब इस दुनिया से दूर रह कर जिंदगी जीना चाहता हूॅं। नरक से बदतर थी यह जिंदगी उसे छोड़ कर आया हूॅं एकांत सा जीवन चाहिए एकांत सा जीना चाहता हूॅं।
मोहब्बत की थी किसी से बेबफाई मिली है। मरता था उसपर बर्बादी मिली है मैं नाकामयाब था उसकी नजर मे पर वजह न जान पाता हूॅं जो मुझे बहुत प्यार करती थी उसे भी इसके लिए ठुकराया हूॅं एकांत सा जीवन चाहिए एकांत सा जीना चाहता हूॅं।
पुरानी याद न करके उसमें तपना चाहता हूॅं जिसका हक ना था मेरे ऊपर उसे मैं चाहता हूॅं। जो मेरे लायक थी उसे नालायक समझाता आया हूॅं किसी और के लिए किसी और को सजा देते आया हूॅं अब नहीं होता मुझसे अब ना कुछ सोचने वाला हूॅं। एकांत सा जीवन चाहिए एकांत सा जीना चाहता हूॅं।
अब हर लम्हा इस चार दीवारी के नाम हैं। मुझे अब तो कोई निकालने नहीं आओ न मैं खुश हूॅं इस जीवन में मुझे रहने दो न। एकांत सा जीवन चाहिए एकांत सा जीना चाहता हूॅं।
न कोई ख्वाब आती है और न ही कोई उम्मीद और न ही बाहर की आवाज आती है और न ही रौशनी का एहसास मैं यहाँ बहुत खुश हूँ मैं निकलना नहीं चाहता हूॅं। एकांत सा जीवन चाहिए एकांत सा जीना चाहता हूँ।
मुझे कोई कुछ न कहो मुझे खाने के लिए भी न दो अब तो कुछ नहीं बचा इस जीवन में मुझे यही एकांत में दम तोड़ने दो। एकांत सा जीवन चाहिए एकांत सा जीना चाहता हूॅं।
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