Himanshu Kumar jhaPoem 169चरित्र हैं पवित्र तो मोह क्या शरीर काचरित्र हैं पवित्र तो मोह क्या शरीरRead More...
Himanshu Kumar jhaPoem 290सुलझे हुए जिंदगी उलझे हुए हैं हम।(STUDENT REAL STORY)ख़ूबसूरत सी दुनिया सहमे हुई हम बिख़रेRead More...
Himanshu Kumar jhaPoem 286मैंन पापा से बड़ा संसार ना मांगूंगामैंन पापा से बड़ा संसार ना मांगूंगा।Read More...
Himanshu Kumar jhaPoem 338टूटे हुए हैं पंख तो क्या हुआ हौसला नहीं हारी हैं।टूटे हुए हैं पंख तो क्या हुआRead More...
Himanshu Kumar jhaPoem 242एकांत सा जीवन चाहिए एकांत सा जीना चाहता हूँ।खामोशी आ गई हैं मुझमें मैं अपनेRead More...
Himanshu Kumar jhaPoem 226हे प्रिये मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूॅं तुम भी प्यार करो न।।हे प्रिये मैं तुम्हें बहुत प्यार करताRead More...
Himanshu Kumar jhaPoem 320तेरी चाहत में अंधे थे अब पागल से हो गए हैं।तेरी चाहत में अंधे थे अब पागलRead More...
Himanshu Kumar jhaPoem 244तेरे हुस्न का नूर तो बरे अच्छे लगते हैं।तेरे हुस्न का नूर तो बरे अच्छेRead More...
Himanshu Kumar jhaShayari 292ख्यालों में मुझे तुमने बांधा थाख्यालों में मुझे तुमने बांधा था मैंRead More...