टूटे हुए हैं पंख तो क्या हुआ हौसला नहीं हारी हैं।
टूटे हुए हैं पंख तो क्या हुआ हौसला नहीं हारी हैं। ज़िंदगी से सीखने की अब तो आई बारी हैं। ख्वाब तो टूटे मेरे अब तो खामोसी त्यागी हैं हारता रहा हूॅं बेसक मैं पर अब उड़ने की बारी है। टूटे हुए हैं पंख तो क्या हुआ हौसला नहीं हारी हैं।।
बुरे ख़्वाब में बिखर सा गया था अब तो बुरे ख्वाब नहीं आती हैं। पक्का कदम मैंने जिस राह पर रखा उस मंजिल का सफर जारी है। टूटे हुए हैं पंख तो क्या हुआ हौसला नहीं हारी हैं।।
वो घमंड में चूर था मैं जो मुझे अपने आप में मरवाई हैं बोलता नहीं था पहले मैं इसलिए ऐसा समय आइ हैं। टूटे हुए हैं पंख तो क्या हुआ हौसला नहीं हारी हैं।।
जुर्म हो गया मुझे जिस दिन आपने आपको आंका था मैं तो बहुत यस्सवी हूॅं यह कह कर अपने ही काल को मापा था पर अब संभल गया हूॅं अब तो सही राह ताकी हैं। टूटे हुए हैं पंख तो क्या हुआ हौसला नहीं हारी हैं।।
ना रुके हमारे कदम यहीं तो वर ईश्वर से मांगी है ठोकर लगे तो संभल गया हूॅं अब तो जीवन बाकी हैं। टूटे हुए हैं पंख तो क्या हुआ हौसला नहीं हारी हैं।।
ना ही दुष्परिणाम होगा इस यात्रा का क्योंकि मेहनत अभी जारी हैं हंस-हंस कर काटे भी सह रहा हूॅं पर हिम्मत नहीं हारे है ख्वाब है बड़ा सफर से मेरा तभी न हौसला में कमी नहीं आई है। टूटे हुए हैं पंख तो क्या हुआ हौसला नहीं हारी हैं।।
ख्वाहिश के पुल नहीं बांधा हमने न ही कुछ हद तक परेशानी हैं लम्हें बीतें चले गए परेशान बड़ी पर सफर सिदद्त से जारी हैं। टूटे हुए हैं पंख तो क्या हुआ हौसला नहीं हारी हैं।।
लम्हें बीतते गए अभी तो आखिरी दौड़ बाकी हैं पहले कुछ कम ख्वाहिश थी पर अब तो आकांक्षाऍं बाकी हैं। खुश तो होना तब है जिस दिन सफ़र ख़त्म होने वाली है। टूटे हुए हैं पंख तो क्या हुआ हौसला नहीं हारी हैं।।
जब बुरा वक्त था मेरा इस सफर का तब भी न हिम्मत हारी थी अब लगता है जीत सा गया हूॅं तब भी मेहनत जारी है क्या सब अरचने आई मंजिल के राहों में उसने कुचल कर आगे बढ़ आऐ हैं। टूटे हुए हैं पंख तो क्या हुआ हौसला नहीं हारी हैं।।
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