अति सुलभ है' सहज धर्म और नीति..... - ZorbaBooks

अति सुलभ है’ सहज धर्म और नीति…..

अति सुलभ है’ सहज धर्म और नीति।

अति न्यारा जीवन दर्शन’ है न्यारी रीति।

जहां मर्यादा मानव का निर्धारित करने को।

कुरुक्षेत्र के रण में केशव ने दिखलाया प्रीति।

मानव को जीवन जीने को दिया गीता का ज्ञान।

विश्व पटल पर पावन भूमि’ भारत देश महान।।

जहां पर जीवन पर अंकुश रखते धर्म शास्त्र।

वेदों की वाणी कहता है मानव कर लो परमार्थ।

जीव सकल ईश्वर जैसा है, समझो शब्द निहितार्थ।

जगत हित हो धर्म’ तज देना निज का स्वार्थ।

जहां धरा भूमि पर ऋषि-मुनि धरते निर्मल ध्यान।

विश्व पटल पर पावन भूमि’ भारत देश महान।।

जहां की नदियों की जलधारा’ हर लेते मन की पीड़।

नारी की रक्षा करने को, जहां बढ जाता है चीर।

जहां परमार्थ के हित की खातिर त्यागे गए शरीर।

राष्ट्र भूमि के गौरव समान हुए अनेकों वीर-रणधीर।

जहां का रज-कण चंदन है, देवता करते स्तुति गान।

विश्व पटल पर पावन भूमि’ भारत देश महान।।

जहां के जीवन केंद्र में रामायण का निर्मल स्वर गुंजे। 

सहज भाव से मानक बिंदु पर’ धर्म ग्रंथ है गीता।

मर्यादा नारी की रक्षा करने को’ रण राम ने जीता।

वह अति गौरव काल का गान सुनो’ जो अतीत में बीता।

जहां सहज ही गोपाल हृदय में गौ माता है प्राण।

विश्व पटल पर पावन भूमि’ भारत देश महान।।

जहां के बासी सहज भाव से राग-बसंत के गाते।

गौ बंस की सेवा करते, संतों के चरणों में शीश नवाते।

निज प्रेम से राष्ट्र पर न्योछावर हो’ अमर वीर कहलाते।

जिस पथ पर वीरों का पद चिन्ह है, वहां प्रसून बिखराते।

जिनकी महिमा अतुलित है, वेद सुस्वर करते गुणगान।

विश्व पटल पर पावन भूमि’ भारत देश महान।।


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